1 मूर्ति कला भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण रचना है और इस रचना के माध्यम से भारत की एक गिनी चुने देशों में वर्णन की जाती है
2 इसमें मूर्ति कला से संबंधित भारत एशिया और बुद्ध की विभिन्न मुद्राएं के बारे में समझ सकते हैं समझ सकते हैं और उनसे संबंधित मंदिर के भी व्याख्या की जाएगी
मूर्ति कला भारत का एक महत्वपूर्ण पहचान है सबसे बड़ा बौद्ध मंदिर है जो भारतीय परंपरा और शैली के अनुसार बनाएं गया है यह 18वीं साड़ी में बनाई गई थी
अंकोरवाट का मंदिर कंबोडिया में स्थित है जो भारत कल और परंपरा के अनुसार बना है जिसके ऊपर रामायण और महाभारत से संबंधित कहानी और कलाओं को चित्र के रूप में बनाए गए हैं
थाईलैंड और कंबोज में भी बुद्ध की प्रतिमा है जो एशिया के दक्षिण पूर्व में बना है जो भारतीय कला से निर्मित है यह एक भारत की विशिष्ट पहचान है उदाहरण के तौर पर
बुद्ध से संबंधित मुद्राएं सचित्र वर्णन ?
1 भूमि स्पर्श मुद्रा
यह मुद्रा ज्ञान प्राप्ति के उत्तरदाई माना जाता है इस मुद्रा में बाएं हाथ के साथ ध्यान मुद्रा में बैठते हैं जिसमें हथेली ऊपर तथा दाहिना हाथ भूमि को स्पर्श करता है
2 ध्यान मुद्रा
इस मुद्रा को योग मुद्रा अथवा समाधि मुद्रा भी कहते हैं इस मुद्रा में दाईं हथेली बाई हथेली के ऊपर रखती हैं बुद्ध द्वारा इसे ध्यान करते समय देखा गया था
3 वितर्क मुद्रा
यह मुद्रा शिक्षा बुद्धि और विचार विमर्श प्रदान करती है इस मुद्रा में अंगूठा और तर्जनी का अग्र भाग स्पर्श से वृत बनती है यह मुद्रा ऊर्जा निरंतर प्रदान करती हैं
4 अभय मुद्रा
यह मुद्रा बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति के बाद दी गई थी इस मुद्रा में शक्ति निर्भरता आंतरिक बल और सुंदरता को बताया गया है इस मुद्रा में बाएं हाथ शरीर के निकट नीचे की ओर लटका रहता है तथा दाएं हाथ कंधे से जुड़ा हुआ ऊपर की ओर उठा रहता है और हथेली बाहर की तरफ रहता है जो आशीर्वाद स्वरुप माना जाता है
5 धर्म चक्र प्रवर्तन मुद्रा
यह मुद्रा बुद्ध का प्रथम उपदेश देते हुए बताया गया है यह धर्म चक्र को गति प्रदान करता है इसमें तर्जनी और अंगूठा के अग्रभाग को जोड़ जोड़कर दाएं हाथ को आगे छाती की ओर रखा जाता है
6 अंजलि मुद्रा
इस मुद्रा को अभिवादन और शक्ति का प्रतीक माना जाता है इस मुद्रा में दोनों हाथ छाती के समीप बंद रखा जाता है तथा हाथ के उंगलियों को जोड़कर लंबवत रखते हैं
7 उत्तर बोधी मुद्रा
यह मुद्रा सर्वोत्तम ज्ञान का प्रतीक है इस मुद्रा में दोनों हाथ को तर्जनी को छोड़कर आपस में सभी उंगलियों को मिलते हैं तथा छाती के नजदीक रखते हैं
8 वरद मुद्रा
इस मुद्रा में दया एवं करुणा को प्रतीक माना जाता है इस मुद्रा में हाथ के पांचो उंगलियां उदारता नैतिकता प्रयास धैर्य और ध्यान को दर्शाता है यह अत्यधिक प्रभावित मुद्रा है
9 वरण मुद्रा
इस मुद्रा में अंगूठा से दो मुड़ी हुई उंगलियां को दबाकर रखा जाता है तर्जनी और छोटी उंगलियों को खड़ा कर के रखा जाता है इस मुद्रा से नकारात्मक विचार और शक्तियों को दूर रखा जाता है अथवा सहायता प्रदान होता है
10 वज्र मुद्रा
यह मुद्रा जापान और कोरिया में अधिक प्रचलित है यह ज्ञान और रक्षा के प्रतीक है इस मुद्रा में बाएं हाथ से कड़ी तर्जनी पर दाएं हाथ की मुट्ठी को रखा जाता है तर्जनी ज्ञान का प्रतीक तथा मुट्ठी ज्ञान का रक्षा का प्रतीक होता है.
कंक्लुजन
इसमें भारत तथा एशिया के प्राचीन मंदिर के बारे में बताएं हैं और बुद्ध से संबंधित विभिन्न मुद्राओं के बारे में भी चर्चा किया है जो अध्यात्म की दृष्टि से बहुत ही प्रेरणादायक है इसे अपना कर लोग अपने जीवन की दिनचर्या में सुख शांति ज्ञान निर्भय जैसी उपलब्धता प्राप्त कर सकते हैं